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लड़कियां लड़कों से कम नहीं

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लड़कियां लड़को से कम नहीं आज के समय में कुछ इस प्रकार के लोग भी मिल जाते हैं जो ये कहते हैं कि महिलाएं लड़कों की बराबरी नहीं कर सकती। ऐसी ही गिरी हुई सोच को पीछे छोड़, आज लड़कियां काफी आगे तक जा निकली हैं, कंधे से कंधा मिलकर चलती, फिर चाहे वो बाप हो, भाई हो या फिर पति हो। लेकिन एक कड़वा सच तो यह आज भी हैं कि कोई भी लड़की अपने आप को सुरिक्षित महसूस नहीं करती न ही अपने खुद के घर में और न ही बहार।  हमारे देश के ज्यादतर राज्यों में लड़कियां नाईट शिफ्ट् जॉब करती हैं, तो कुछ डे शिफ्ट में, इसके अलावा कुछ पार्ट टाइम जॉब्स भी करती हैं, जिनकी शिफ्ट लेट नाईट तकरीबन 11 से 12 बजे तक ओवर होती है। ऐसे में लड़की ऑटो रिक्शाव, कैब या बस में ट्रेवल करती हैं, तो वहा पर रैप जैसी वारदात होने लगी हैं। नशे में धुत लड़के रोड पर खड़े रहते हैं। कुछ टैक्सी ड्राईवर नशे में ड्राइव कर रहे होते हैं, तो कुछ शॉर्टकट रूट से ड्राप करने के बहाने बनाकर सुनसान जगह से ले जाकर रैप की वारदात को अंजाम देते है और लड़की यही सोचती रह जाती है कि मैं जल्दी घर पहुच जाउंगी। इसके अलवा भी महिलाओं के साथ जोर जबरदस्ती करते है। उन

कन्या भ्रूण हत्या

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कन्या भ्रूण हत्या, लड़कों को प्राथमिकता देने तथा लड़की जन्म से जुड़े निम्न मूल्य के कारण जान बूझकर की गई कन्या शिशु की हत्या की जाती है। ये सब उन क्षेत्रों में होता हैं जहां सांस्कृतिक मूल्य लड़के को लड़की की तुलना में सबसे ज्यादा महत्व देते हैं। कन्या भ्रूण हत्या से जुड़े तथ्य ‌यूनीसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट से हमें ये पता चला है कि भारत में सुनियोजित लिंग-भेद के कारण भारत की जनसंख्या में से 5 करोड़ लड़कियां एवं महिलाएं गायब हैं ।।। कहां गई इतनी महिलाएं और लड़कियां ? ‌भारत की जनसंख्या में , 100 पुरुषों के पीछे 93 से कम लड़कियां हैं।संयुक्त राष्ट्र का यह कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमान तौर पर प्रतिदिन 2,000 अजन्मी कन्याओं को गर्भ में ही मार दिया जाता है।।। लेकिन ऐसा क्यू किया जाता है ? छुपे खतरे संयुक्त राष्ट्र ने  यह बताया है कि भारत में बढ़ती लड़कियों की गर्भ में हत्या, जनसंख्या से जुड़े संकट उत्पन्न कर सकती है जहां समाज में कम महिलाओं की वज़ह से सेक्स से जुड़ी लड़ाई और छोटी लड़कियों के साथ अत्याचार के साथ-साथ पत्नी की दूसरे के साथ हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हो सकती है। और फिर यह स